earthquake

शनिवार, 25 जनवरी 2020

बुधवार, 22 जनवरी 2020

farewell, vidai samaroh, teacher, विदाई समारोह

माफ़ करना मैं आज के विदाई समारोह में नहीं शामिल हो पाया।  और यू भी विदाई जरुरी होने के बावजूद भी पसंद हो जरुरी तो नहीं। समझता हूँ की विदाई मात्र रस्म भर ही होती है यूँ  मात्र विदा कर देने से कोई विदा थोड़े ही होता है। जिस से ज़माने भर की शिकायतें हों उनको भी नहीं भुलाया जा सकता और तुम से तो कोई शिकायत हो ही नहीं पाई , कोशिश करके भी क्या होता तुमने कभी मौका ही नहीं दिया की कोई कमी तलाशी जाय और फिर कोई जिद भी नहीं थी कमी तलाशने की।

एक अध्यपिका को जैसा होना चाहिए था तुम बिलकुल वैसी ही थी , उन नन्हे बच्चो की प्यारी मैडम।

तुम एक बेहतरीन सहयोगी भी थीं , याद नहीं पडता की तुमसे कभी कोई शिकायत हो न मुझे और न किसी और सहयोगी को।

तुम्हारा कार्यकाल एक स्वच्छ और विवादों से परे ही रहा , तुमने हमेशा अपने सीनियर साथियो का सम्मान रखा और जूनियरों से दोस्ताना सम्बन्ध रखा।  शिक्षित साथियो को कैसा होना चाहिए तुम इसका एक उदाहरण हो। तुमने कभी मुझसे नहीं कहा की ये कक्षा छोटी है मैं नहीं पढ़ा सकती बल्कि इस बार तो तुमको बिलकुल छोटी कक्षा दी थी, याद है न की उस दिन तुम रोने लगी थी शायद तुमको पहली बार शिकायत हुई थी मगर जब तुमको इसका कारण बताया गया तो तुमने पुरे लगन के साथ उस कार्य को किया और हमको मनमाफिक परिणाम दिए।

अपने पुरे कार्यकाल में तुमने कभी चहेता बनने के लिए मीठे मीठे शब्दों का सहारा नहीं लिया बल्कि अपने काम की वजह से तुम चहेती बनी , हैरानी ही रही हमेसा मुझे की तुमने हमेसा खुद को दूसरों  की परछाइयों से बचा के ही रखा और अपना वजूद अपने काम से बनाया।

कमाल है न की कोई भी ऐसा नहीं जो तुमको नापसंद करे, बहुत मुश्किल होता है ऐसा कर पाना या ऐसा हो पाना।  तुम्हारी कमी खलेगी मुझे भी और उन बच्चों को भी।

अब तुम्हारा नया जीवन शुरू होने को है और उम्मीद है की तुम वहां भी सबकी चहेती  रहोगी , ईश्वर करे तुम सदा ऐसी ही सरल रहो और सफल भी रहो।

हमारी दुआऐ ,हमारा प्यार और आसिर्वाद तुम्हारे साथ है।  खुदा तुमको खुश रखे। 

शनिवार, 4 जनवरी 2020

NAMESTE GOOD MORNING

नमस्ते  भी नुकसानदायक  हो सकती है , मैने सोचा भी न था। सोचता हूँ तो अजीब भी लगता है और सही भी लगता है। फिर दिमाग गलती ढूंढ़ने में व्यस्त हो जाता है और मैं चुपचाप उसको देखता रहता हु की वो ये सब कुछ भूल क्यों नहीं जाता। क्यों याद रखे हूऐ है।

सुबह का वक़्त था उस नई  लड़की ने मालिक को नमस्ते नहीं किया, क्युकी वो उनको पहचानती नहीं थी उसको नहीं पता था की वो साहब मालिक है , पता होता तो शायद नमस्ते कर भी लेती, मालिक ने मुझसे पूछा की ये लड़की कौन  है , मैंने बताया की नई  लड़की रखी है , मालिक - इसको पता नहीं की मैं कौन हूँ , शयद नहीं पता होगा मैंने यही जवाब दिया , गलती शायद मेरी भी थी मुझे परिचय या बताना चाहिए था , मगर ऐसा मौका भी नहीं आया था की मैं बता पाता।

कुछ देर मे  उस लड़की का दोबारा इंटरव्यू हुआ और उसी दिन उसको जाने को बोल दिया गया।  कमी तो मिल ही जाती है बस कमी निकालने की जिद होनी चाहिए।

नौकर तो मालिक को नहीं पहचानता था मगर मालिक तो पहचान गया था।  उनको तो पहचानने का मौका मिल गया था मगर नौकर को नहीं मौका मिला , काश मिल जाता मौका।

एक नमस्ते भी अहम पर इतनी चोट दे सकती है मुझे तब तक नहीं पता था , एक सबक सीखा उस दिन खुद के लिए की कभी किसी की इज्जत और आदर दबाब दे के नहीं कमानी।

कोई नमस्ते नहीं करा तो उसके कोई भी कारन हो सकता है , उसका अजनबी पन हो सकता है, उसकी नाराजगी भी तो हो सकती है या उसने ध्यान भी न दिया हो।  उस दिन के बाद मई कभी नमस्ते पैर ध्यान नहीं देता।  

solar sclipse, ग्रहण कुंडली 21/6/2020

With the blessing of my Guru Sh. K.N.Rao Ji and Lt. Sh. Col. Ashok Gaur, I am here again with my new Write up on mundane astrology . Ec...