नमस्ते भी नुकसानदायक हो सकती है , मैने सोचा भी न था। सोचता हूँ तो अजीब भी लगता है और सही भी लगता है। फिर दिमाग गलती ढूंढ़ने में व्यस्त हो जाता है और मैं चुपचाप उसको देखता रहता हु की वो ये सब कुछ भूल क्यों नहीं जाता। क्यों याद रखे हूऐ है।
सुबह का वक़्त था उस नई लड़की ने मालिक को नमस्ते नहीं किया, क्युकी वो उनको पहचानती नहीं थी उसको नहीं पता था की वो साहब मालिक है , पता होता तो शायद नमस्ते कर भी लेती, मालिक ने मुझसे पूछा की ये लड़की कौन है , मैंने बताया की नई लड़की रखी है , मालिक - इसको पता नहीं की मैं कौन हूँ , शयद नहीं पता होगा मैंने यही जवाब दिया , गलती शायद मेरी भी थी मुझे परिचय या बताना चाहिए था , मगर ऐसा मौका भी नहीं आया था की मैं बता पाता।
कुछ देर मे उस लड़की का दोबारा इंटरव्यू हुआ और उसी दिन उसको जाने को बोल दिया गया। कमी तो मिल ही जाती है बस कमी निकालने की जिद होनी चाहिए।
नौकर तो मालिक को नहीं पहचानता था मगर मालिक तो पहचान गया था। उनको तो पहचानने का मौका मिल गया था मगर नौकर को नहीं मौका मिला , काश मिल जाता मौका।
एक नमस्ते भी अहम पर इतनी चोट दे सकती है मुझे तब तक नहीं पता था , एक सबक सीखा उस दिन खुद के लिए की कभी किसी की इज्जत और आदर दबाब दे के नहीं कमानी।
कोई नमस्ते नहीं करा तो उसके कोई भी कारन हो सकता है , उसका अजनबी पन हो सकता है, उसकी नाराजगी भी तो हो सकती है या उसने ध्यान भी न दिया हो। उस दिन के बाद मई कभी नमस्ते पैर ध्यान नहीं देता।
सुबह का वक़्त था उस नई लड़की ने मालिक को नमस्ते नहीं किया, क्युकी वो उनको पहचानती नहीं थी उसको नहीं पता था की वो साहब मालिक है , पता होता तो शायद नमस्ते कर भी लेती, मालिक ने मुझसे पूछा की ये लड़की कौन है , मैंने बताया की नई लड़की रखी है , मालिक - इसको पता नहीं की मैं कौन हूँ , शयद नहीं पता होगा मैंने यही जवाब दिया , गलती शायद मेरी भी थी मुझे परिचय या बताना चाहिए था , मगर ऐसा मौका भी नहीं आया था की मैं बता पाता।
कुछ देर मे उस लड़की का दोबारा इंटरव्यू हुआ और उसी दिन उसको जाने को बोल दिया गया। कमी तो मिल ही जाती है बस कमी निकालने की जिद होनी चाहिए।
नौकर तो मालिक को नहीं पहचानता था मगर मालिक तो पहचान गया था। उनको तो पहचानने का मौका मिल गया था मगर नौकर को नहीं मौका मिला , काश मिल जाता मौका।
एक नमस्ते भी अहम पर इतनी चोट दे सकती है मुझे तब तक नहीं पता था , एक सबक सीखा उस दिन खुद के लिए की कभी किसी की इज्जत और आदर दबाब दे के नहीं कमानी।
कोई नमस्ते नहीं करा तो उसके कोई भी कारन हो सकता है , उसका अजनबी पन हो सकता है, उसकी नाराजगी भी तो हो सकती है या उसने ध्यान भी न दिया हो। उस दिन के बाद मई कभी नमस्ते पैर ध्यान नहीं देता।
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