आज सम्पूर्ण विश्व कोरोना नामक संक्रमण फैलानी वाली महामारी से ग्रस्त है, जिसकी चपेट में लगभग सभी देश आ चुके हैं। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे वैश्विक आपदा घोषित किया है। अब इसका प्रसार एवं प्रकोप भारत में भी अपने पैर पसार चुका है।
आइये इस वर्तमान स्थिति को ज्योतिष के नजरिये से समझने का प्रयत्न करते हैं।
होरा ज्योतिष या संहिंता ज्योतिष , ज्योतिष के सभी सिद्धांत कालपुरुष की कुंडली के आधार पर ही मान के तय किये गए हैं तो इसीलिए हम भी कालपुरुष की ही कुंडली का अध्ययन व विश्लेषण करेंगे।
कालपुरुष की लग्न कुंडली - D1
चूँकि ये कोरोना वायरस बीमारी संक्रमण से फैलती है और संक्रमण के लिए वायु तत्व से अध्ययन किया जाता है , इसीलिए इसमें वायु तत्व की तीनों राशियों (3 ,7 ,11 ) मिथुन , तुला और कुंभ का अध्ययन किया जायगा।
इसके साथ साथ त्रिक भावों का (6 ,8 ,12 ) षष्ठम ,अष्ठम और द्वादश भावों का भी अधययन जरुरी होगा।
इन राशियों और भावों का तुलनात्मक अध्ययन लग्न कुंडली (D1), नवांश कुंडली (D9) और त्रिंशांशा कुंडलियों (D30) में भी किया जाना जरुरी है। इसीलिए हम इन तीनो कुंडलियों का ही अध्ययन करेंगे।
इसके अलावा 90 अंश और उसके गुणक यानि 90/180/270/360 अंश का भी अध्ययन करना होगा। यूँ तो इन अंशो में कुंडली का 6,8,12 भाव तो होते ही हैं बस एक नवम भाव अतिरिक्त जुड़ जाता है , और मेदिनी ज्योतिष में इन अंशो को अशुभ माना जाता है।
कालपुरुष की लग्न कुंडली - D1
लग्न कुंडली का विश्लेषण :
- लग्न भाव पर द्वादेश गुरु की व केतु का द्रिष्टि प्रभाव है।
- लग्न भाव में सप्तमेश शुक्र विराजमान है और सप्तम भाव से युद्ध का भी या युद्ध जैसी स्थिति का भी विचार किया जाता है।
- लग्नेश मंगल नवम भाव में द्वादश एवं नवमेश गुरु और केतु के अशुभ प्रभाव में है।
- लग्नेश मंगल और नवमेश और द्वादेश बृहस्पति दोनों ही अंशात्मक युति में है जो की 268 अंश पर है जो की 270 अंश के नजदीक ही हैं , इन अंशो पर अशुभ भावो के मालिक अशुभ प्रभाव ही देते हैं।
वायुतत्व राशियाँ : (3,7,11)
- मिथुन राशि पर राहु विराजमान हैं और अष्टमेश मंगल , नवमेश और द्वादशेश बृहस्पति और केतु , इन सब अशुभता का प्रभाव है जो की वायु संक्रमण की पुष्टि करता है। मिथुन राशि अधिपति बुध स्वयं एक अन्य वायु तत्व राशि कुम्भ में स्थित हैं
- तुला राशि पर शनि की दशम द्रिष्टि है जो की स्वयं अन्य वायु राशि अधिपति हैं और सप्तमेश शुक्र पर केतु और नवमेश और द्वादशेश बृहस्पति का द्रिष्टि प्रभाव है इसके साथ साथ शुक्र स्वयं शुक्र के ही नक्षत्र में है , ये सब भी वायु द्वारा संक्रमण को ही बताते हैं।
- कुंभ राशि में बुध विराजमान है जो की अन्य वायु तत्व राशि मिथुन के अधिपति हैं ,राहु के भी प्रभाव में है और किसी भी वायरस संक्रमण के लिए राहु करक होते हैं। कुम्भ राशि के स्वामी शनि भी 275 अंशो पर स्थित हैं जो की 270 अंश के नजदीक ही है।
त्रिक भाव : 6 ,8 ,12 भाव :
- षष्ठेश बुध वायु तत्व राशि कुम्भ में विराजमान हैं और राहु से भी द्र्ष्ट हैं।
- अष्टमेश मंगल नवम भाव में राहु केतु और नवमेश और द्वादशेश बृहस्पति के अशुभ प्रभाव में है। अष्टमेश मंगल वायु तत्व राशि मिथुन पर अपना प्रभाव डाल रहे है। और साथ ही द्वादस भाव को भी प्रभावित करते हैं।
- द्वादश भाव में सूर्य बैठे है और अष्टमेश मंगल की चतुर्थ दृष्टि है , द्वादशेश गुरु भी राहु केतु और मंगल के प्रभाव में अशुभ प्रभाव ही दे रहे है। साथ साथ ही लग्न को और अन्य वायु तत्व राशि मिथुन को प्रभावित करते हैं।
= उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट होता है की लग्न कुंडली में तीनो वायु तत्व राशियां पीड़ित हैं और त्रिक भाव के अशुभ प्रभाव साथ वायु संक्रमण द्वारा बीमारी की पुष्टि करते हैं।
कालपुरुष कुंडली का नवांश - D9
नवांश कुंडली का विश्लेषण :
नवांश कुंडली को स्वतंत्र कुंडली की तरह भी अध्ययन करना चाहिए और इसके साथ साथ नवांश कुंडली लग्न कुंडली का प्रमाणिक अध्ययन भी करती है।
- लग्न भाव पर नवमेश और द्वादशेश बृहस्पति की व राहु का द्रिष्टि प्रभाव है। इसके साथ सप्तमेश शुक्र भी लग्न को देखते है।
- लग्नेश मंगल नवम भाव में द्वादशेश एवं नवमेश गुरु, राहु और छठे भाव के स्वामी बुध के अशुभ प्रभाव में है।
वायु तत्व राशियाँ : 3 ,7 ,11
- मिथुन राशि पर केतु विराजमान हैं और अष्टमेश मंगल , नवमेश और द्वादशेश बृहस्पति, राहु, और छठे भाव के स्वामी बुध, इन सब अशुभता का प्रभाव है जो की वायु संक्रमण की पुष्टि करता है। मिथुन राशि अधिपति बुध स्वयं भी अशुभता के प्रभाव में हैं।
- तुला राशि में राशि अधिपति शुक्र स्वयं है।
- कुम्भ राशि में भी अधिपति शनि बैठे है। और सूर्य के द्वारा देखे जा रहे है।
- नवांश कुंडली में तीनो वायु तत्व राशियाँ अपने स्वामी द्वारा देखी जाती हैं।
त्रिक भाव : 6 ,8 ,12
- षष्ठेश बुध नवम भाव में विराजमान हैं और केतु से भी द्र्ष्ट हैं और साथ साथ अश्टमेष मंगल और द्वादशेश गुरु के साथ भी दृष्टि सम्बन्ध में है।
- अष्टमेश मंगल नवम भाव में राहु केतु और नवमेश और द्वादशेश बृहस्पति के अशुभ प्रभाव में है। अष्टमेश मंगल वायु तत्व राशि मिथुन पर अपना प्रभाव डाल रहे है। और साथ ही द्वादश भाव को भी प्रभावित करते हैं। और अष्टम भाव पर शनि की दृष्टि भी है।
- द्वादश भाव पर मंगल की चतुर्थ दृष्टि है , द्वादशेश गुरु भी राहु केतु और मंगल के प्रभाव में अशुभ प्रभाव दे रहे है। और लग्न को और अन्य वायु तत्व राशि मिथुन को प्रभावित करते हैं।
कालपुरुष कुंडली का त्रिंशांश - D30
त्रिंशांश कुंडली का विश्लेषण :
किसी भी कुंडली के अशुभ प्रभावों की जाँच त्रिंशांश कुंडली में ही की जाती है , कह सकते हैं की कुंडली के अशुभ प्रभाव त्रिंशांश कुंडली में ही प्रमाणिक होते हैं या स्पष्ट होते हैं।
- लग्नेश मंगल जो की अश्टमेष भी हैं सप्तम भाव में मौजूद हैं साथ में नवमेश और द्वादशेश बृहस्पति का भी लग्न और लग्नेश पर प्रभाव है।
- तीनो वायु तत्व राशियाँ मिथुन , तुला और कुम्भ पापी ग्रहों और पाप भावों के स्वामियों से देखीं जाती हैं या यु कहे की उनके प्रभाव में हैं।
- त्रिक भावों के स्वामी भी (6 ,8 ,12 ) तीनो वायु तत्व राशियों को अपने प्रभाव में रखे हुए हैं और वायु संक्रमण की पुष्टि करते हैं।
त्रिंशांश कुंडली में बिलकुल साफ़ समझ आता है की की कुंडली में अशुभता की प्रधानता दिखाई देती है।और
*** हमने सिर्फ वायु तत्व रशिया और त्रिक भावों का ही अध्ययन किया है , कारक और भी बहुत से है जो ज्ञात भी है किन्तु ये दो बिंदु ही तस्वीर को साफ़ दिखा रहे हैं। ***
कुछ और अन्य विचारणीय तथ्य :
सप्तम भाव से युद्ध का विचार किया जाता है। आज वर्तमान में मेदिनी ज्योतिष में युद्ध की परिभाषा व्यापक रूप से लेनी होती है। आज युद्ध का अर्थ है :-
- शासन का विरोध
- दंगा , बगावत
- साम्प्रदायिक दंगे या विवाद
- अव्यवस्तित राज्य प्रबंध
- जान माल की हानि
- संक्रमण बीमारियां जिसमे एक साथ हज़ारो लोग मरे।
उपरोक्त कुंडली में भी अगर सप्तम भाव को देखे तो सप्तम और सप्तमेश दोनों ही पापी ग्रह और पाप भावो के स्वामियों से पूर्ण रूप से पीड़ित हैं
= यदि बृहस्पति शुक्र से आगे हो तो पूर्व दिशा का नाश होता है, गले में पीड़ा होती है , ओले बरसते हैं। और कोरोना वायरस पूर्व दिशा से ही फैला।
= उपरोक्त कुंडली में भी भाव दिशा देखें तो पूर्व दिशा अन्य दिशाओं में बैठे पाप ग्रहों से पीड़ित हो रही है और वर्तमान में संपूर्ण विश्व पीड़ित हो रहा है
= शुक्र, मंगल और शनि अगर ये तीनो वायु तत्व राशियों से सम्बन्ध रखे तो सरकारो को युद्ध जैसी स्थति का सामना करना पड़ता है , और नवांश कुंडली भी इस तथ्य की पुष्टि करती है।
= अगर कृष्णंमूर्ति पद्धति के अनुसार देखें तो मंगल, बृहस्पति और शनि ये तीनो ग्रह 270 अंशो के नज़दीक ही हैं और मंगल बृहस्पति दोनों का उपस्वामी मंगल है , शुक्र राहु दोनों का उपस्वामी बृहस्पति है , केतु का उपस्वामी शनि है , अर्थात मंगल, बृहस्पति ,शुक्र, राहु, केतु ये सारे ग्रह 270 अंश पर स्थित ग्रह से सम्बंधित हैं।
= और यदि कृष्णंमूर्ति पद्धति के अनुसार भाव कारक देखे (HOUSE SIGNIFICATION) देखें तो साफ़ समाज आता है की वक्त संक्रमण वाली बीमारिया देगा :-
वायु तत्व राशि :
3 राशि - बुध , शुक्र , राहु
7 राशि - शुक्र
11 राशि - सूर्य,चन्द्रमा , बुध , शनि
त्रिक भाव :
6 भाव - सूर्य , मंगल, बृहस्पति, शनि
8 भाव - मंगल
12 भाव - सूर्य, मंगल, गुरु , शनि
***** अब सवाल ये है की इस से मुक्ति कब तक , तो कहा जा सकता है की अभी तो जल्दी मुक्ति नहीं मिलती इलाज 15 अप्रैल के बाद और लगभग २ महीने तो लग ही जायँगे। जब तक मंगल और बृहस्पति में अंशात्मक दूरी नहीं बढ़ती। जरुरत है सावधान रहने की। *****
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