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गुरुवार, 18 जून 2020

SOLAR ECLIPSE june 2020 , ग्रहण कुंडली

ॐ गणेशाय नमः


अपने ज्योतिष गुरु SHRI K.N.RAO और  LT. SH. COL. ASHOK GAUR, को प्रणाम करते हुए  और उनके आशीर्वाद के साथ संहिता ज्योतिष सम्बंधित लेख श्रृंखला में अपना  दूसरा  लेख प्रस्तुत करता हूँ।
सहिंता ज्योतिष में ग्रहण कुंडली का  बहुत महत्व होता है।  इस वर्ष यूँ  भी 6  ग्रहण हैं। और ज्योतिष जगत में ग्रहण सदैव उत्सुकता का विषय रहा है।

इस वर्ष 21/06/2020 को दोपहर  12.11.15 पर सूर्य ग्रहण पर्व है।

ग्रहण की कुंडली विचार करते बहुत से तथ्यों का अवलोकन करना होता है।  ग्रहण में सूर्य ग्रहण का अधिक महत्व होता है।  ग्रहण विचार करते  समय राशि , तत्व ,  द्रेष्काण , दिनमान , नक्षत्र , दिशा इन सबका अध्ययन जरुरी होता है।

दिनांक : 21/06/2020 को दोपहर  12.11.15 पर होने वाले  सूर्य ग्रहण का भी अध्ययन इन्ही गुणों के आधार पर किया जायगा। 







1. उपरोक्त ग्रहण मिथुन राशि में घटित हो रहा है , और द्विस्वभाव राशि में होने वाले ग्रहण का प्रभाव मध्यम काल तक रहता है।  इसका प्रभाव सामन्य जन जीवन  पर ज्यादा होता है। व्यपार , शिक्षा , हड़ताल ,और अपराध से है।   इसमें यमुना तट वासी , गीत नृत्य जानने वाले को पीड़ा , उत्तम स्त्री , राजा के तुल्य , बलवान मनुष्य को पीड़ा होती है।

2. मिथुन राशि वायु तत्व राशि है और वायु तत्व के ग्रहण में तूफ़ान , वायु से बहुत हानि होती है।  अकाल ,छूत की बिमारी , तूफ़ान , हवा आंधी , मनुष्यों में हानि कारक प्रभाव , नियम बनाने वाली संस्थायें  पर दवाब रहता है और राष्ट्रीय झगड़े सामने आते है।

3. द्रेष्काण : उक्त सूर्य ग्रहण  कन्या राशि  के  प्रथम द्रेष्काण में हो रहा है , जिसके प्रभाव से  किसी राजा की मृत्यु या बड़ी विपत्ति की सुचना मिलती है।

4. भाव प्रभाव : उक्त सूर्य ग्रहण के समय कन्या लग्न उदय हो रहा है जिससे की दशम भाव में ग्रहण  घटित हो रहा है , दशम भाव पर प्रभाव से सत्तापक्ष , अधिकारी वर्ग , और राजा को नुक्सान होता है।  देश में विरोध और प्रजा में असंतोष बढ़ता है , व्यपार में हानि और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओ का दवाब रहता है।

5. नवांश : उपरोक्त सूर्य ग्रहण  जल तत्व के नवांश में है जिससे की  साधारण लोगो को परेशानी और मृत्यु कष्ट , समुद्र या समुद्र तटीय क्षेत्र पर जयादा हानि होती है।

6 . दिनमान के अनुसार ये ग्रहण दिन के  ३ भाग में घटित हो रहा है  जिसके प्रभाव से  राजा के मध्य देश का नाश होता है , धन धान्य महंगे , शिल्प से जीवन कमाने वाले और निम्न वर्ग और मंत्रियो का नाश या नुक्सान होता है।

7.  मास प्रभाव : ये सूर्य ग्रहण आषाढ़ मास में हो रहा है और इसके फलानुसार  कूप , तालाब ,नदी प्रवाह ,माली बागवान , कश्मीर , अफगानिस्तान ,चीन , अदि देशो का नाश होता है।

8. वार अनुसार फल  : रविवार के दिन होने वाले इस ग्रहण के प्रभाव से  धान्य संग्रह , घी तेल महंगा ,वर्षा मध्यम , राज्य में युद्द या युद्द जैसे हालत होते हैं।

9.  ग्रह दृष्टि फल : उपरोक्त ग्रहण राशि मिथुन पर सप्तम भाव से मंगल की दृष्टि है , इसके फलस्वरूप  राज पक्ष , शासक दाल को हानि, अग्निकांड , युध भय , विस्फोट आदि की संभावना होती हैं।

10. ग्रह योग : मिथुन राशि में सूर्य , चन्द्रमा से साथ बुध और राहु का ग्रह योग भी है।  जिसमे :

क)बुध : उत्तर प्रदेश , नेपाल सीमा , बिहार, बंगाल. भारत के पूर्वी सीमान्त पर  उपद्रव , स्त्रियों और उच्च शिक्षित , शासकों को कष्ट होता है।

ख)राहु : गुजरात , रेगिस्तान प्रदेश ,कच्छ , गोवा, आबू, पश्चिमी तटीय प्रदेश में कष्ट होता है।

11. सूर्य चन्द्रमा उत्तरायण में ग्रस्त : उच्च वर्ग , शासक वर्ग , बड़े नेताओं , व शासन के लिए अशुभ होता है।

नोट : तुला राशि पर मंगल, शनि, और राहु की दृष्टि है।

काल पुरुष कुंडली


संहिता ज्योतिष में काल  पुरुष की कुंडली का बहुत महत्व है , काल पुरुष की कुंडली भी कुछ कुछ ग्रहण कुंडली के ही फलों का सत्यापन कर रही है। इस कुंडली में 3,5,6,9,10 भाव पीड़ित हो रहे हैं।

. तीसरा भाव  : रेल या हवाई व परिवहन सेवा में दिक्कत आती है, संचार व्यवस्था , लेखक , प्रकाशक, समाचार पत्र , पडोसी देशो के साथ सम्बन्ध में दिक्कत होती है।

२. पांचवा भाव : शिक्षा स्थल , मनोरंजन केंद्र, फिल्म जगत को अनिष्ट होता है , किसी राज पुरष की मृत्यु होती है , बच्चो को नुक्सान होता है।

३. छठा भाव : रोग, बेरोजगारी , और असंतोष बढ़ता है।  मजदूर वर्ग हड़ताल या विद्रोह करता है।

४. नवम भाव : धार्मिक विवाद होते है , समुद्र में  तूफ़ान आते हैं , तटीय प्रदेश मे रहने वालो को हानि होती है।

५. दशम भाव : सत्ता पर दवाब, विद्रोह , और हानि होती है।

भारत वर्ष की वृषभ लग्न की कुंडली में भी  कमोबेश यही भाव और प्रभाव दिखते  है।   

*** हमने सिर्फ ग्रहण कुंडली का ही अध्ययन किया है और साथ में उस ग्रहण काल को कालपुरुष कुंडली और भारत वर्ष की कुंडली के संतुलित एवं सिमित अध्ययन ही किया है , कारक और भी बहुत से है जो ज्ञात भी है किन्तु ये  बिंदु ही तस्वीर को साफ़ दिखा रहे हैं। ***

कुछ और भी विचारणीय तथ्य भी है :-

१. 30 जून 2020  से 6 जुलाई 2020  और  13/7/2020  से 19/7/2020, या कमोबस पूरा जुलाई ही अगर देखे तो :

** वायु दुर्घटना या वायु से दुर्घटना के संभवनाय दिखती है और किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की मृत्यु की भी सम्भावना हो सकती है।
** 58 डिग्री से 107  डिग्री अक्षांश पर कुछ हलचल हो सकती है।  प्रभावित क्षेत्र कश्मीर, पाकिस्तान,  अफगानिस्तान, रूस , चीन  और भारत का मध्य भाग और पश्चिमी समुद्र तटीय क्षेत्र और पूर्वी दिशा।

२. संहिंता ज्योतिष में चक्रों का भी बहुत महत्व होता है , अगर कूर्म चक्र और संघटा चक्र  का उपयोग करके देखा जाय तो उपरोक्त संभावनाओं की पुष्टि होती है।

** इसमें स्पष्ट दिखता है की मिथुन राशि और मकर राशि का वेध हो रहा है , जो की शुभ सूचक नहीं है। **


   

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